tag:blogger.com,1999:blog-8534420496180705347.post4110280575549209076..comments2023-10-22T21:35:30.876+05:30Comments on मन की लहरें: दूसरों की पर-निर्भरता में रस लेता आदमीमन की लहरेंhttp://www.blogger.com/profile/15167461728431243414noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8534420496180705347.post-28719402034402485352010-06-26T13:06:33.805+05:302010-06-26T13:06:33.805+05:30अच्छा तो अरूणजी,
मेरे एक सवाल का जबाब दिजीए। जब आप...अच्छा तो अरूणजी,<br />मेरे एक सवाल का जबाब दिजीए। जब आपने अपने मन को पूर्ण शांत कर लिया होता है, आप न भूतकालमें जाते है न भविष्य की कोई चिंता आपको सताती है; जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार कर लेनेमें आपको कोई दिक्कत महसूस नही होती; चित्तकी सभी प्रेरणाओंको जिसमे जिज्ञासा और अन्य मस्तिष्कों को सिखाने की लालसा भी शामिल है, आपने जीत लिया होता है; तो फिर इस ब्लॉगिंग का चस्का आपको कैसे लगा।अविज्ञात परमहंसhttps://www.blogger.com/profile/11277651285085593937noreply@blogger.com