पाँच विचार
इच्छा का संचार विचार की शक्ल लेता है और इच्छा आभासित होती है विचारक के रूप में.. मन है..इच्छा का संचार -अरुण लोग अच्छे हो न पाए पर दिख रहे अच्छे ‘अच्छाईयत’ का आजकल जो बाज़ार गरम है -अरुण जो हमने रची चीज़ें.. हमें ही ख़रीद लेती हैं और फिर, नया कुछ भी हमें रचने नही देती -अरुण दूसरों से पाए हुए चिराग़….अंधेरा हटाते नही, गहराते हैं -अरुण बदन-ओ-मन से उसे क्यों जुड़ाव हो हैं दोनों किराये पे मिले…… रहन वास्ते -अरुण