कुछ शेर
अपनी ही रौशनी से इतना बंधा हुआ दिखती नही न जानी सूरज की रौशनी इतनी न कभी पास मेरे आ पाई जितनी कि फुरकत में हुआ करती हो अहले दिल से क्यों लगाया दिल जाने क्यों ऐसे सवालात परेशां करते ........................................................... अरुण