कुछ शेर
अपनी ही रौशनी से इतना बंधा हुआ
दिखती नही न जानी सूरज की रौशनी
इतनी न कभी पास मेरे आ पाई
जितनी कि फुरकत में हुआ करती हो
अहले दिल से क्यों लगाया दिल
जाने क्यों ऐसे सवालात परेशां करते
........................................................... अरुण
दिखती नही न जानी सूरज की रौशनी
इतनी न कभी पास मेरे आ पाई
जितनी कि फुरकत में हुआ करती हो
अहले दिल से क्यों लगाया दिल
जाने क्यों ऐसे सवालात परेशां करते
........................................................... अरुण
Comments
दिखती नही न जानी सूरज की रौशनी
दिखती नहीं न जानी ...कुछ छूट गया है या अन्यथा जुड़ गया है ..!!
भावना लाजवाब है ...!!
जाने क्यों ऐसे सवालात परेशां करते
Sundar !