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Showing posts from December, 2015

१० दिसम्बर

एक शेर ******** चित्र बनते दिख रहे हों आइने में... ......वे नही बनते न होते हैं वहाँ खोपड़ी में सिर्फ उर्जा का बहाव... मन विचारों की महज़ छाया वहाँ -अरुण एक शेर ******** जानने की कोशिशें..... नाकाम हैं सुनके पढ़के बस बने है जानकारी -अरुण सत्यदर्शन *********** हम सब असत्य या झूठ ही हैं... हमारे इस सार्वजनिक झूठ के झूठत्व का स्पष्ट दर्शन ही है सत्यदर्शन -अरुण एक शेर ********* हर किसी के ग़म-ख़ुशी का है अलग तप्सील दिल में सबके रंग उसका .......एक ही जैसा अरुण एक शेर ********* आतंकियों के बम मिसाइल रूस की हो धर्म ऊर्जाका ....अधार्मिक बन गया  है अरुण एक शेर ******** उभर आते  हैं वेद सारे.....कोरे काग़ज़ पर चितका कोरापन ही..... उनको पढ़ पाता है अरुण एक शेर ******** कहने को कुछ न होता तो न होती भाषा पाने को कुछ न होता तो न होती आशा अरुण एक शेर ********** सतह पर गिरती-ओ- उठती है लहर है नतीजा भी वजह भी.... ये लहर अरुण एक शेर ******** लाख पोछो या के झाड़ो तुम उसे... दीवारे पत्थर है न कुछभी दिख सके उसपारका अरुण एक शेर ********* जो है नही

१ दिसम्बर

एक शेर ******** पल पल बदलती है.. ये कायनात....अपना पैतरा मेरी मन दौड़ इस बदलाव से रखती मुझे गाफ़िल अरुण इसपर ग़ौर करें *************** लगाव भी है अलगाव भी है एक ही वक़्त अभाव भी है और भाव भी है एक ही वक़्त मगर इंसान को.... इसका न कोई होश है वह अच्छा और बीमार भी है एक ही वक़्त अरुण एक शेर ******** यादों को ही भूत कहो........कहो भूत को याद याद बनी है जीवन सबका.. भूत जगत अवतार अरुण एक शेर ********* हवा पे उड़ रहे बादल को.... कुछ भी है नहीं कहना मगर उसमें भी अपने मन मुताबिक़ चित्र देखे आदमी अरुण एक शेर ********* साँस के चलने से पहले जो जैसा था वैसी ही है दुनिया साँस के चलते भी अरुण मुहब्बत क्या है? **************** मुहब्बत ऐसी नजदीकी का नाम है जिसमें न दूरी है, न मजबूरी है, न मिलकियत है और न है कोई नीयत...   जिसमें दो नहीं होते और न ही गिना जा सके ऐसा कोई एक ही होता है... मुहब्बत में न कोई लगाव है और न ही कोई अलगाव, न कोई उलझाव और न ही है कोई सुलझाव केवल होता है भाव ही भाव -अरुण   दो बातें ******** मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं