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Showing posts from April, 2011

दो शेर

सारी दुनिया, जेहन पे पसरी ऐसी किसी शीशे में आसमान उतर आया हो ....................... साये मिटते नही मिटाने से जो हटी आड़, तो धूप ही धूप .......................................... अरुण

मनुष्य जीवन

धरा सत्य आकाश एक कल्पना सी क्षितिज तो मिलन मात्र है नभ-धरा का ................ मनुष्य का जीवन क्षितिज ही है जो दूरसे सत्य और पास जाकर देखो तो कुछ भी नही .................................... अरुण

मनुष्य जीवन

धरा सत्य आकाश एक कल्पना सी क्षितिज तो मिलन मात्र है नभ-धरा का ................ मनुष्य का जीवन क्षितिज ही है जो दूरसे सत्य और पास जाकर देखो तो कुछ भी नही .................................... अरुण

माया क्या है ?

जो अस्तिव में न होते हुए भी जिसका हमारे जीवन में अस्तित्व बना हुआ है वह है माया माया सत्य तो नही पर सत्य का सही सही आभास मात्र है जिसके आधार पर मनुष्य अपना दैनिक जीवन जी रहा है ................................... अरुण

चमत्कारों’ की अनावश्यक चर्चा से बचें

श्रद्धा आदमी की मानसिक जरूरत से जन्मा एक ऐसा मनाचरण है जिसके समुचित आधार के बारे में कोई भी चर्चा उठाना बहुतेरों को समाज में अच्छा नही लगता ऐसे ही श्रद्धालुओं का एक श्रद्धा-स्थान सत्य साईंबाबा कल चल बसे ------ भक्तों के दान से बने एक विशाल साम्राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा ऐसी चिंता का उठना अब स्वाभाविक ही है -------- इस साम्राज्य द्वारा पैसे के दुरूपयोग या राजनैतिक उपयोग की कोई बात अभी तक न तो नही सुनी गई या सामने आयी है शायद इसी लिए ‘ बड़े बड़े ’ लोग उनसे प्रभावित थे इस बात को खुले तौर पर दर्शाया जा रहा है इस श्रद्धा-सत्ता के माध्यम से किये गये समाज-उपयोगी विकास कामों को सराहना ठीक ही है परन्तु प्रशंसा के इस दौर में उनके तथाकथित चमत्कारों की प्रशंसा न होने लगे इस बात का ध्यान रहे ........................................... अरुण

मनुष्य- जीवन प्रकृति के विरोध में

केवल जीना भी जिंदगी है और ‘ जानते हुए ’ जीना भी जिंदगी पेड फल जंगल सब जी रहे हैं कुछ भी जाने बगैर मनुष्य और दूसरे प्राणी भी जी रहे है मगर ‘ जानने ’ के साथ साथ मनुष्य के जीवन में ‘ जानने ’ का अनुपात बहुत बढ़ चुका है और इसी लिए मनुष्य का जीना दुर्बल बन गया है सभी दूसरे प्राणी अपनी प्राकृतिक अवस्था में जितना जरूरी है उतना ही ‘ जानते ’ हैं और इस तरह पूरी तरह प्राकृतिक जिंदगी जी रहे हैं मनुष्य जरूरत से अधिक ‘ जानने ’ के कारण प्रकृति के विरोध में बना रहकर संघर्ष का जीवन जी रहा है ........................................ अरुण

अभी यहीं पर ही है सारी जिंदगी

सपनों में भविष्य और यादों में बीते वक्त को तलाशता आदमी यह भूल ही जाता है कि अभी और यहीं पर सपने भी जीवित हैं और यादें भी अभी यहीं पर ही है सारी जिंदगी जो सपनों पर उछल पड़ती है तो बीते में लगाते बैठती है गोते .......................................... अरुण

‘बेदागी’- शब्द को नया आयाम

आमतौर पर सार्वजनिक जीवन में बेदागी व्यक्ति ऐसे व्यक्ति को कहा गया है जिसके नाम पर कोई भी अपराध या दुष्कृत्य दर्ज न हो और उसकी सामाजिक प्रतिमा भी अच्छी एवं आकर्षक हो परन्तु अण्णा हजारे वाले एपिसोड ने इस परिभाषा को एक नया आयाम दे दिया है जिसके अनुसार व्यक्ति का बेदागी होना ही काफी नही वह जिस भीड़ के आधीन है या जिस भीड़ को संचालित करता है वह भी दाग-मुक्त हो इस नए आयाम वाले बेदागी बहुत कम हैं अगर हैं भी तो सार्वजानिक दृष्टि-पथ से बाहर हैं ............................................... अरुण

सारा ध्यान कदमों के चलने पर है

कल रामनवमी थी घर के कुछ सदस्यों को उपवास था यानी उन्होंने रोज का अन्न-भोजन सेवन करने की जगह फलहार भोज किया ‘ फलहार ’ - केवल नाम मात्र का जिसकी आड में तरह तरह के चटपटे व्यंजन बने जो रोज के खाने से हट के थे अपनी जगह से उकताया आदमी नयी जगह की ओर चल तो पडता है पर उसके कदम उसे अपनी ही जगह के ओर ले आते हैं सारा ध्यान कदमों के चलने पर है कदमों की दिशा पर नही ...................................... अरुण

सामजिक मूल्य और अध्यात्म

समाज की मूल्य व्यवस्था दो तरह की होती है आदर्श -आधारित और व्यवहार- आधारित दोनों ही परस्पर विरोधी हैं समाज ईमानदारी को पूजता है और उस सफल व्यापारी को भी जिसकी सफलता में कई चालाकियों का हाँथ हो आध्यात्म मूल्यों को नही पूजता बल्कि सत्य की खोज से जुडकर मूल्यों को प्रकट करता है ............................................ अरुण

जानना और जीना

मन को मन ही जाने तन नही जानता मन को परन्तु तन को तो मन हर पल जानता रहता है मूलतः मन का काम है जानना और तन का काम है जीना जानना और जीना एक दूसरे में घुलमिल चुका है जानने को अलग रखते हुए केवल जीने का बोध होते रहना ही समाधी अवस्था है ................................................................. अरुण