1-1-2016 V एक शेर एक शेर ******** कपड़ों से मै ढका क्या.. कपड़ा ही बन गया कपड़े ही बन गये.......मेरी पहचान के सहारे अरुण एक शेर ******** शब्दों में विश्वास भले दिखता जीवित प्राणों को संदेह .....दिआ करता कंपन - अरुण एक शेर ******** दिल धडकता ख़ून फिरता प्राण चलते हैं जिंदगी इसके अलावा कुछ नही बस ख़्वाब है अरुण एक शेर ******** एक जैसी सरलता हो.....एक जैसी सहजता फ़र्क़ क्या? गर एक छोटा हो बड़ा हो दूसरा अरुण एक शेर ******** ईश का अस्तित्व मानो या न मानो अपना होना ही....उसी का है सबूत अरुण एक शेर ********* जान है सो जानना ही है महज़,फिर ज्ञान ज्ञानी का पता क्यों ढूँढते ? - अरुण एक शेर ********* मन न होता, न होती दुनियादारी कभी अ-मन ही तो... अमन का जरिया खरा अरुण एक शेर ********* माने हुए पर हो रहा जिसका गुज़ारा सच देखने का कष्ट वह करता नही अरुण सच का सच ************* नदी जबतक.......पूरी की पूरी सूख नही जाती सारा मैदान............एक का एक नही दिखता असत्य जबतक.. पूरा का पूरा दिख नही जाता सच का सच..................प्रकाशित नही होता अरुण ए...