अन्ना के सभी मैनेजरस् पारदर्शी रहें
देश में भ्रष्टाचार बढ़कर इतना ज्वलनशील बन गया कि अन्ना की एक विशुद्ध चिनगारी
विरोध की आग को भडकाने में सफल हो गयी। परन्तु इस चिनगारी के व्यवस्थापकों को
ऐसा भ्रम हुआ दिखता है कि यह आग शायद उनके ही विशुद्ध आचरण का फल है। वे अन्ना की चिनगारी का फायदा उठाकर अपनी प्रतिमा उभारना चाहते हैं पर साथ ही भयभीत हैं कि कहीं यह चिनगारी उनके अपने कपडे न जला दे।
आग से खेलने वालों को अग्नि परीक्षा देनी ही पड़ती है। जनता यह कतई नही चाहती कि भ्रष्टाचार से संघर्ष करने वालों की भीड़ में ऐसे लोग भी हों जो अपनी ईमानदार छवि की आड में, जाने अनजाने अपनी सत्ता जमाना चाहते हों। जनता के सवालों का जवाब तो उन्हें देना ही होगा। दूसरों के चरित्र पर खुली टिप्पणी करने वालों को अपना चरित्र पारदर्शी रखना होगा। उनके द्वारा दिये गये तार्किक जवाबों से जनता शायद चुप बैठ जाए पर कभी संतुष्ट न हो सकेगी, उनका पारदर्शी होना एक अनिवार्य शर्त है।
........................................................................................... अरुण
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