तीन रुबाईयां
रुबाई ******* बैद मन का.. मर्ज़ को अच्छा नही करता टेढ़ को सीधा करे .....अच्छा नही करता सबके सब सीधे से पागल.. ऐसे सीधों से वह कभी मिलता नही ...चर्चा नही करता - अरुण रुबाई ***** ठहराव नही है ......है बहाव जिंदगी न रुका कुछ भी, न पड़ाव है जिंदगी न चीज़, न शख़्स, न जगह है कोई 'है' का न वजूद यहाँ, बदलाव है जिंदगी - अरुण रुबाई ******* सिक्के के पहलुओं में दिखता विरोध गहरा भीतर से दोनों हिलमिल आपस में स्नेह गहरा ऊपर से दिख रही हो आपस की खींचातानी भीतर में बैरियों के ... बहता है प्रेम गहरा - अरुण