बड़े अंतराल के बाद

यहाँ पाना कुछ नही बस खोना है
जो मिला यहाँ आकर उसे ढोना है
उस गठड़ी की तरह जो कभी थी ही नही
लगता रहा कि '' है " -यही रोना है
.............................................. अरुण

Comments

वाह .. बढिया है !!
बहुत बढिया। आभार

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