मन की तरंग
आज से कुछ दिनों तक अपनी पुरानी डायरी से चुनी रचनाएँ ब्लॉग पर रख रहा हूँ .
देखिये भाती हैं या नही
अंतर्ज्ञान
ज्ञान से दृष्टिकोण बदलतें हैं
अंतर्ज्ञान से दृष्टि ही बदलती है
......................
जागना
जागना हो तो जगत की हर चीज पर जागो
सोना है तो विचारों से भी सो जाओ
अहंकार क्या है
हवा पर खिंचीं है हवा की लकीरें
ये मुद्दत गंवायीं मगर मिट न पाई
नजर भर के देखो ये सारा तमाशा
ये किसने बनाई और किसने मिटाई
.............................................. अरुण
देखिये भाती हैं या नही
अंतर्ज्ञान
ज्ञान से दृष्टिकोण बदलतें हैं
अंतर्ज्ञान से दृष्टि ही बदलती है
......................
जागना
जागना हो तो जगत की हर चीज पर जागो
सोना है तो विचारों से भी सो जाओ
अहंकार क्या है
हवा पर खिंचीं है हवा की लकीरें
ये मुद्दत गंवायीं मगर मिट न पाई
नजर भर के देखो ये सारा तमाशा
ये किसने बनाई और किसने मिटाई
.............................................. अरुण
Comments