मिशन यानी करुणा नही
साधारणतः
अच्छे उद्देश्य या हेतु से
किया गया
हर काम सही माना जाता है
परन्तु अगर नींद में खोया आदमी
सही हेतु से भी कोई काम करे
वह अच्छा नही हो सकता
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‘यह ईश्वर की सेवा है’ - ऐसा मानकर
आदमी के समाज में
आदमी की सेवा करने वालों के काम को
सराहा जाए – यह स्वाभाविक ही है
परन्तु अध्यात्मिक स्तर पर
यह भी स्वार्थ-कर्म ही है
क्योंकि यह करुणा (दया नही)
से फला काम नही है
.............................................. अरुण
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