कुछ शेर

दिमाग बनाता चीजें, भीतर बाहर
जिंदगी उनसे उलझकर रह गई

इस दुकाँ से उस दुकाँ तक आँख गुजरी बेखबर
देख लेना अब जेहन में झाँककर सारा बजार

प्यार तो प्यार, नही यार से जज्बाती जूनून
एक मंजर ऐसा जिसमे सभी यार ही यार
................................................................ अरुण

Comments

NARAYAN MHASKAR said…
Bijlee Kaundh Gayee
Dikh Gaya Sab Kuch
Ab Bayan Karate Raho Arun
Har Andhere ka
Maje le le kar

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