कुछ शेर
कोई बंदा- नही ऐसा- जिसे कोई- नही है डर
अगर होगा तो उसकी साँस में जन्नत की खुशबू है
ख़ुद से ही- देखता हूँ तमाशा जहान का
ख़ुद को भी- देखता, जो जहां से जुदा नही
टूटा जो कुदरत से रहा सहमा सहमा
यही डर जो खुदा को ढूँढता है
.................................................... अरुण
अगर होगा तो उसकी साँस में जन्नत की खुशबू है
ख़ुद से ही- देखता हूँ तमाशा जहान का
ख़ुद को भी- देखता, जो जहां से जुदा नही
टूटा जो कुदरत से रहा सहमा सहमा
यही डर जो खुदा को ढूँढता है
.................................................... अरुण
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