दो शेर
सारी दुनिया, जेहन पे पसरी ऐसी
किसी शीशे में आसमान उतर आया हो
.......................
साये मिटते नही मिटाने से
जो हटी आड़, तो धूप ही धूप
.......................................... अरुण
किसी शीशे में आसमान उतर आया हो
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साये मिटते नही मिटाने से
जो हटी आड़, तो धूप ही धूप
.......................................... अरुण
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