चमत्कारों’ की अनावश्यक चर्चा से बचें
श्रद्धा आदमी की मानसिक जरूरत से जन्मा
एक ऐसा मनाचरण है
जिसके समुचित आधार के बारे में
कोई भी चर्चा उठाना
बहुतेरों को समाज में
अच्छा नही लगता
ऐसे ही श्रद्धालुओं का एक
श्रद्धा-स्थान सत्य साईंबाबा कल चल बसे
------
भक्तों के दान से बने एक विशाल
साम्राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा
ऐसी चिंता का उठना अब स्वाभाविक ही है
--------
इस साम्राज्य द्वारा
पैसे के दुरूपयोग या राजनैतिक उपयोग की कोई बात
अभी तक
न तो नही सुनी गई या सामने आयी है
शायद इसी लिए ‘बड़े बड़े’ लोग उनसे प्रभावित थे
इस बात को खुले तौर पर दर्शाया जा रहा है
इस श्रद्धा-सत्ता के माध्यम से किये गये
समाज-उपयोगी विकास कामों को सराहना ठीक ही है
परन्तु प्रशंसा के इस दौर में उनके तथाकथित
चमत्कारों की प्रशंसा न होने लगे
इस बात का ध्यान रहे
........................................... अरुण
Comments