आदमी बस आदमी से डर रहा है

इजादे जेहन का मकसद

आदमी को जानवर के खौफ से महफूज रखना

हाय, ये क्या हुआ अब

आदमी बस आदमी से डर रहा है

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उत्क्रांति के क्रम में कुदरत ने आदम-जाती को

अपनी सुरक्षा और जीवन जीने की सुविधा के लिए

मन नाम का एक यंत्र उसेक भीतर उगाया

परन्तु हुआ यूँ की आदमी आदमी से है डरने लगा,

सीमायें गढ़कर रहेने लगा, सीमा बाहर के लोगों से हमेशा डरा हुआ,

उनसे लड़ने की व्यवस्था से ही जुड़ा हुआ.

इस तरह मन जीने का नही, कुछ रचने का नही बल्कि

मरने और मारने का साधन बन कर रह गया

................................................ अरुण

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