सच नही है चीज
चीज है गर, बेचनेवाला भी है, बाजार भी
सच नही है चीज, ना ही बिक सके बाजार में
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सच कोई चीज नही है और इसी कारण
कोई किसी को न तो दे सकता है और न ही
बेच सकता है
मजाक तो यह है कि सच को मंदिरों और सभी धार्मिक
पूजा स्थलों से बेचनेवाले पंडित, मौलवी, पादरी..
हमेशा ही मौजूद रहे हैं और सच को खरीदने वाले
ग्राहकों की भी कोई कमी नही
........................................................ अरुण
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