विचारों की गिरफ्त

मुझको लगता के कुई बोल रहा है भीतर

जब के भीतर है सिर्फ आवाजे खयाल

..............................................

एक ऐसी मूलभूत गलत फहमी है जिसके

हम सभी शिकार हैं.

भीतर मन में, विचारों की आवाज सुनकर

ऐसा लगता है

कि वहाँ भीतर बैठकर कोई बोल रहा है

जो मन और विचारों की असलियत को

पल पल देख रहा है, वह मन की गिरफ्त से मुक्त है

..................................................... अरुण

Comments

Popular posts from this blog

तीन पोस्टस्

पाँच विचार

लहरें समन्दर की, लहरें मन की