समाधान-दायक ज्ञान



हर दृष्टि
किसी कोण से ही
साधी जा सकती है
जिस दृष्टि का कोई भी कोण नहीं या
जो दृष्टि कोण-विरहित है उसके समक्ष
जो भी संवेदित होता है 
वह ज्ञान है
परन्तु किसी कोण या
तर्क के माध्यम से
जो भी दिखता है वह नए
प्रश्नों को जननेवाला
अर्ध-ज्ञान है जिसमे
जानने के लिए कुछ न कुछ
बच ही जाता है
वह समस्या-निवारक हो सकता है,
समाधान-दायक नहीं
-अरुण  

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के