स्थितप्रज्ञता के लिए बाधक मनोअवस्था
देखा चाहा संग सजोना सोचा,
बाधा से भिड़कर क्रोध जगा बन अग्नि
अग्नि से उठता मोह, धुएँ से अँधा
अपने बीते को ठीक समझ ना पाए
एवं तथ्यों को सही सही ना देखे
ऐसा पागलपन बुद्धिभ्रष्ट का लक्षण
अपने को खो देता यह ऐसा जग-जन
-अरुण
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