तामसी, राजसी और सात्विक



तामसी आलस्यवश कोशिशे छोड़ सुस्त पड़ा रहता है. राजसी का कर्तुत्वभाव उसे कोशिश करने के लिए आग्रह करता रहता है. सात्विक, जब जैसा आन पड़े वही करता है, उसमें न पलायन वृति है और न ही सिद्धी की ललक.
-अरुण  

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