मनोभंजन या मनोरंजन



साधक को ज्ञानी जो बातें कहता है वह साधक के मनोभंजन के लिए होती हैं पर विडम्बना तो यही है कि साधक उसे मनोरंजन की सामग्री समझकर सुनता रहता हैं  
-अरुण

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