अरविंद केजरीवाल भी उनमें से ही एक .......
देखा तो यही जाता है कि लोग चुनाव
जीतने के लिए लड़ते हैं. हाँ यह भी सच है कि कभी कभी प्रतिष्ठा के लिए तो कभी
प्रतिस्पर्धी के वोटों को काटने के लिए भी चुनाव लढे जाते हैं. अपने हारने की पूरी
तैयारी के साथ प्रतिस्पर्धी को परास्त करने के लिए (हराने के लिए नही) चुनाव
लड़नेवाले बिरले ही होंगे.
अरविन्द केजरीवाल भी उनमें से ही एक हैं.
उनकी यह वाराणसी की लढाई ऐसी ही एक मिसाल है.
जो हारने की पूरी उम्मीद के साथ, पूरे दमखम से लडेगा,
वही अपने मिशन में (चुनाव में नही ) कामयाब हो सकता है.
-अरुण
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