सोचने वाली बात
प्रश्न – जिंदगी की सारी झंझटें क्या
हैं? ख़ुशी गम, ‘मेरे-तेरे’ बीच का तनाव, खोने पाने का एहसास, यह सारा झंझटभरा
तमाशा आख़िरकार है क्या?
उत्तर – उधर देखो..... आसमान में.. पेड़ों
पर .. इधर उधर.. पक्षियों के कई झुण्ड मंडरा रहे है, एक दूसरे से टकरा रहे हैं, खेल रहे है, चहचहा रहे है. .. क्या
यह सारा नजारा, हम अभी बड़े ही शांतिभाव से.. नहीं निहार रहे है ?
प्रश्न कर्ता – हाँ सच है ये
उत्तर कर्ता – अब बस मान लों, उन झुंडो
में से एक झुण्ड तुम हो या वह तुम्हारा अपना झुण्ड है ... और फिर उसी दृश्य को
दोबारा देखो, तुम्हारे भीतर झंझटों भरे विचार मंडराने लगेंगे. डर, जलन,
प्रतिस्पर्धा, आशा निराशा, असुरक्षा के बादल गरजने लगेंगे ........
... अरुण
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