एक पत्र मोदीजी के नाम




मोदीजी ! नमस्कार
वाराणसी में नामांकन के दिन जो जनसैलाब दिखा उसपर बहसें तो चलती रहेंगी परन्तु इस विशाल जनसमूह को देखने के बाद, आपके प्रति बढती लोकप्रियता, कुतूहल, आपके प्रचार-कौशल्य ... की मिलीजुली वास्तविकता को झुठलाया नहीं जा सकता. यह बात तो अब करीब करीब तय है कि आपका नाम और कांग्रेस का बदनाम, बीजेपी को अच्छी विजय दिलाने जा रहा है.
आपका घोष वाक्य है ‘विकास सबके साथ’. पर इस घोष वाक्य के प्रति बीजेपी के भीतर कितनी एक वाक्यता है, यह कहना कठिन है. नये और प्रथम मतदाताओं का रुझान आपके घोषित विकास के एजेंडे की ओर हुआ दिखता है .. परन्तु पुराने कट्टर भाजपाईयों की मनोवृति में अभी भी पुरानापन ही कायम है. वे सब आपमें एक ऐसा अवतार देख रहे है जो शायद सारे पुराने हिसाबों को चुकता करने जा रहा हो. अभी भी वे सब पुराने भाजपाई --‘बदला लेना है’  और ‘पाकिस्तान भेज दिया जाएगा’ --जैसे बयानों पर जमकर तालियाँ पीटतें हैं. ऐसे भड़काऊ भाषण और उसका उजागर समर्थन, ...आपको व्यथित करता  हैं या इससे मन ही मन आप प्रोत्साहित होतें है ? .. यह तो सिर्फ आप ही जानते हैं. सच क्या है यह तो भविष्य ही बतलायेगा... तब तक देश के सामने होगी सिर्फ जोखिम .. लोकतंत्र के हित में इतनी जोखिम तो उठानी ही होगी.
जीत के पीछे का आपका इरादा ‘सबके साथ विकास’ का साबित हुआ तो देश आपको निश्चित धन्यवाद देगा और इसके उलट, कहीं आप पुराने हिसाबों में उलझ गए तो फिर... देश किस दिशा में जाएगा ..यह भविष्य ही जाने
-अरुण    

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