मन की तरंग
अखंड दृष्टि बनाम विश्लेषण
किसी भी वस्तु, दृश्य या फेनोमेनों को आदमी की
या तो बुद्धि देखे या उसकी समग्र दृष्टि
वह उसे टुकड़ों में बाँट कर देखे या पूर्ण की पूर्ण
टुकड़ों में बाँट कर और फिर उन टुकड़ों के ज्ञान को जोड़कर देखने से
पूर्ण को नही जाना जा सकता
पूर्ण को तभी समझा जा सकता है जब
समग्र दृष्टि से समग्र को ही देखा जाए
टुकड़ों में देखना या विश्लेषण बुद्धि की जरूरत है, जो
अध्यात्मिक समझ के मार्ग में एक बड़ी अड़चन है
विश्लेषण अंधे का बौद्धिक आचरण है जो
उसे वैज्ञानिक तथ्यों से मिलवाता है जब कि
अखंड दर्शन बुद्ध का परमज्ञान है जो उसे
सत्य में मिला देता है
................................................... अरुण
किसी भी वस्तु, दृश्य या फेनोमेनों को आदमी की
या तो बुद्धि देखे या उसकी समग्र दृष्टि
वह उसे टुकड़ों में बाँट कर देखे या पूर्ण की पूर्ण
टुकड़ों में बाँट कर और फिर उन टुकड़ों के ज्ञान को जोड़कर देखने से
पूर्ण को नही जाना जा सकता
पूर्ण को तभी समझा जा सकता है जब
समग्र दृष्टि से समग्र को ही देखा जाए
टुकड़ों में देखना या विश्लेषण बुद्धि की जरूरत है, जो
अध्यात्मिक समझ के मार्ग में एक बड़ी अड़चन है
विश्लेषण अंधे का बौद्धिक आचरण है जो
उसे वैज्ञानिक तथ्यों से मिलवाता है जब कि
अखंड दर्शन बुद्ध का परमज्ञान है जो उसे
सत्य में मिला देता है
................................................... अरुण
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