मन की तरंग

अहम् ब्रह्मास्मि
पीपल का यह एक वृक्ष
हवा के झोंकों के साथ डोलती हैं शाखाएँ और पत्ते इसके
हर पत्ते से ध्वनि निकलती है
मै हूँ पीपल - मै हूँ पीपल
हर शाखा गूंजकर कह रही है
मै हूँ पीपल - मै हूँ पीपल
परन्तु-
मै - ब्रह्मा वृक्ष का एक पत्ता
कभी न कह पाया
मै हूँ ब्रह्म - मै हूँ ब्रह्म
.................................. अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
क्या बात है..बहुत खूब कहा!

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