मन की तरंग

शोषण
दोषी कौन -शोषक या शोषित ?
दोनों ही की अपनी अपनी मजबूरीयाँ हैं
शोषित शिकार है अपनी भौतिक या/तथा मानसिक कमजोरी का
शोषक मजबूर है शोषण करने की अपनी स्वाभाविक प्रवृति के कारण
शोषित अभाव से पीड़ित है तो शोषक दुर्भाव से
दोनों ही आँखें मूंदे हुए हैं , अजग्रित हैं
होश में जीने वाला न तो शोषण करेगा और न ही
किसी शोषण को सहने को राजी होगा

शोषक या शोषित की वकालत करनेवाले प्राणियों के बारें में क्या कहें ?
वे तो समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखतें हुए
अपना उल्लू सीधा करते हैं
उनकी तो बात ही कुछ निराली है
वे भी शोषक हैं, शोषक एवं शोषित, दोनों ही के
........................................................ अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बेहतरीन!

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