बिना प्यास पानी पीना
जब तक सपना
वास्तविकता ही लग रहा हो
सपने से जागने का विचार उठेगा ही नही
अगर उठता है तो मतलब ऐसा विचार
सपने ने ही तैयार किया
एक कपट मात्र है
जब तक नींद में कोई रस या रूचि बची हो
जागने का विचार न ही उठे तो अच्छा है
जब तक संसार में रस है
तब तक परमार्थ की बातें एक छलावा है
एक ऊपरी उपचार मात्र है
बिना प्यास पानी पीनेवालों जैसा है
.............................................. अरुण
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