जिसे अपने और ब्रह्मांड के बीच
किसी भी विभाजक के न होने का
गहन बोध होता रहे
उसे स्वयं के बारे में या विश्वत्व के बारे में
या दोनों के बीच के अभिन्नत्व के बारे में

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