वेदना धरती की
अगर परछाईयाँ नोचने लगें, खरोचने लगें
धरती को तो
धरती त्रस्त होगी, कराहती होगी,
बेचैन होगी
ठीक उसी तरह जिस तरह
यह मस्तिष्क तनाव ग्रस्त है, चिंतित है, व्यस्त है,
व्यग्र है, विवंचित है, परेशान है -
विचारों, स्मृतियों, सपनों, चिंताओं और ऐसी ही
कई अंतर्छायाओं द्वारा सतत
नोचें जाने के कारण
................................... अरुण
धरती को तो
धरती त्रस्त होगी, कराहती होगी,
बेचैन होगी
ठीक उसी तरह जिस तरह
यह मस्तिष्क तनाव ग्रस्त है, चिंतित है, व्यस्त है,
व्यग्र है, विवंचित है, परेशान है -
विचारों, स्मृतियों, सपनों, चिंताओं और ऐसी ही
कई अंतर्छायाओं द्वारा सतत
नोचें जाने के कारण
................................... अरुण
Comments
और इस ग्लोबल उथलपुथल (पर्यावरण और राजनीतिक ) का कारण भी यही है ....!!