वेदना धरती की

अगर परछाईयाँ नोचने लगें, खरोचने लगें
धरती को तो
धरती त्रस्त होगी, कराहती होगी,
बेचैन होगी
ठीक उसी तरह जिस तरह
यह मस्तिष्क तनाव ग्रस्त है, चिंतित है, व्यस्त है,
व्यग्र है, विवंचित है, परेशान है -
विचारों, स्मृतियों, सपनों, चिंताओं और ऐसी ही
कई अंतर्छायाओं द्वारा सतत
नोचें जाने के कारण
................................... अरुण

Comments

दिलीप said…
waah bahut acche se dharti ki vedna ko ukera...
Udan Tashtari said…
बहुत बढ़िया!
ZEAL said…
that's why 48 deg C and floods in Kashmir Ghati and "Laila' at coastal Andhra
मानव मस्तिष्क विचारों से ...और धरती अनवश्यक दोहन से ...दोनों ही त्रस्त हैं ...
और इस ग्लोबल उथलपुथल (पर्यावरण और राजनीतिक ) का कारण भी यही है ....!!

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