पाँच खिड़की वाला एक घर

शरीर पाँच खिड़की वाला एक घर है
इन्ही खिडकियों से दुनिया अन्दर प्रवेश करती है
बुद्धि से गुजरती है और इसीलिए
संकेतों में ही समझी जाती है,
स्मृति में संगृहीत हो विचारों में
अभिव्यक्त होती है
अव्यक्त से अभिव्यक्ति तक की यह यात्रा
अगर ध्यान प्रकाश में घटे
तो क्या ही अच्छा हो !
अभी तो यह यात्रा
अपने में ही प्रकाश में लिप्त है
अभी तो वह ध्यान विमुख है
...................................... अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत शानदार बात कही!!
... बेहद प्रभावशाली

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