द्वार ढूँढती रहती है .....

सत्य की खोज निराली है
यह सदा जारी है, बस जारी ही है
किसी दिवार से टकरा भी जाए
तो भी थमती नही
द्वार ढूँढती रहती है ,
रास्ते ढूँढती रहती है ,
दिवार पर लिखे निष्कर्षों को पढ़कर
लौटती नही
न ही दिवार पर नये निष्कर्ष
लिखते बैठती है
जिन्हें निष्कर्षों की जल्दी है
वे पंडित बन कर रह जातें है
रास्ते ढूँढना छोड़कर
रास्ते बतलाना शुरू कर देते हैं
..................................... अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
सुन्दर!
जिन्हें निष्कर्षों की जल्दी है
वे पंडित बन कर रह जातें है
रास्ते ढूँढना छोड़कर
रास्ते बतलाना शुरू कर देते हैं

सटीक बात कही है...अच्छी अभिव्यक्ति

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