दो मुक्तक

याद
याद बीते की
याद आते की
जिंदगी कैसे कटी
ये तो मुझे याद नही
.........
अँधेरा खुद जला ......
दिये की रोशनी से सब
अँधेरे को भगाते हैं
अँधेरा खुद जला और मिट गया
देखा किसी ने ?
...................... अरुण

Comments

बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.
Arvind Mishra said…
अन्धेरा कब मिटा है
...बहुत सुन्दर !!!

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