मनुष्य-चेतना की कहानी
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हर क्षण हर पल आदमी गहरी नींद में विश्राम करता,स्वप्न के आकाश में फड़फड़ाता और
विचारों के बहाव में बहता हुआ ज़िंदगी जीता रहता है।
अपनी परिपूर्ण मानसिक अवस्था का परिपूर्ण स्मरण रखनेवालों को ही इस सच्चाई का एहसास होता रहा होगा।
आंशिक स्मरण रखनेवाले हम जैसे लोग
किसी एक ही अवस्था (जाग, स्वप्न या नींद)- से ही जुड़ा महसूस करते हैं।
सागर कहाँ है?
सागर एक ही वक्त, एक ही पल लहरों में है, लहरों को उभारती गहराईंयों में है और तल पर शांत लेटी तरंगों में भी है।
मनुष्य की चेतना की कहानी इससे भिन्न नही है।
-अरुण
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हर क्षण हर पल आदमी गहरी नींद में विश्राम करता,स्वप्न के आकाश में फड़फड़ाता और
विचारों के बहाव में बहता हुआ ज़िंदगी जीता रहता है।
अपनी परिपूर्ण मानसिक अवस्था का परिपूर्ण स्मरण रखनेवालों को ही इस सच्चाई का एहसास होता रहा होगा।
आंशिक स्मरण रखनेवाले हम जैसे लोग
किसी एक ही अवस्था (जाग, स्वप्न या नींद)- से ही जुड़ा महसूस करते हैं।
सागर कहाँ है?
सागर एक ही वक्त, एक ही पल लहरों में है, लहरों को उभारती गहराईंयों में है और तल पर शांत लेटी तरंगों में भी है।
मनुष्य की चेतना की कहानी इससे भिन्न नही है।
-अरुण
Comments
आंशिक स्मरण रखनेवाले हम जैसे लोग..... वाह ! बहुत सुन्दर सृजन