मनुष्य-चेतना की कहानी
*******************
हर क्षण हर पल आदमी गहरी नींद में विश्राम करता,स्वप्न के आकाश में फड़फड़ाता और
विचारों के बहाव में बहता हुआ ज़िंदगी जीता रहता है।

अपनी परिपूर्ण मानसिक अवस्था का परिपूर्ण स्मरण रखनेवालों को ही इस सच्चाई का एहसास होता रहा होगा।

आंशिक स्मरण रखनेवाले हम जैसे लोग
किसी एक ही अवस्था (जाग, स्वप्न या नींद)- से ही जुड़ा महसूस करते हैं।

सागर कहाँ है?
सागर एक ही वक्त, एक ही पल लहरों में है, लहरों को उभारती गहराईंयों में है और तल पर शांत लेटी तरंगों में भी है।
मनुष्य की चेतना की कहानी इससे भिन्न नही है।
-अरुण

Comments

yashoda Agrawal said…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 18 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अपनी परिपूर्ण मानसिक अवस्था का परिपूर्ण स्मरण रखनेवालों को ही इस सच्चाई का एहसास होता रहा होगा।

आंशिक स्मरण रखनेवाले हम जैसे लोग..... वाह ! बहुत सुन्दर सृजन

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के