कुछ शेर
अपने ही घर में बैठे खिड़की से झांकता हूँ
दुनिया ने ध्यान खींचा घर की न सुध रही
अँधेरे को हटाता रहा, न हट पाया
रात दिन, रौशनी के गीत गाता रहा
धुएँ सी शख्सियत मेरी, धुआं ही बटोरता हूँ
धुआं कहाँ से चला, पता नहीं
.................................................... अरुण
दुनिया ने ध्यान खींचा घर की न सुध रही
अँधेरे को हटाता रहा, न हट पाया
रात दिन, रौशनी के गीत गाता रहा
धुएँ सी शख्सियत मेरी, धुआं ही बटोरता हूँ
धुआं कहाँ से चला, पता नहीं
.................................................... अरुण
Comments
दुनिया ने ध्यान खींचा घर की न सुध रही
बहुत सुन्दर बधाई