कुछ शेर

उसी की खोज सही जो कि नहीं पास अरुण
अपनी सांसो को, धडकनों को, खोजते न फिरो

लिखाकर नाम तख्तियों पे, दावे नहीं करते
ये तो तख्तियां हैं - नाम बदलती रहती हैं

चाँद पे पांव धरा तो लगा हसरत पूरी
बंदा बेसब्र अब, करता वहाँ पानी की तलाश
........................................................अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बेहतरीन!!

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