एक गजल
सामनेवाले ने खुद की जब कभी तारीफ की
ठेस सी लगती है दिल में खुद को घटता देखकर
कायदा कायम हुआ तो कत्ल होने थम गए
तलवारे नफरत चल रही हर बार दुश्मन देखकर
प्यास को इज्जत मिली प्यासों से दुनिया भर गई
हो न हो जतला रहे सब प्यास पानी देखकर
'उनसे' पाकर इक इशारा चल पड़े मंजिल तरफ
कुछ तो उनके हो गए आशिक उन्हें ही देखकर
अपनी हालत पे बड़ा मै गमजदा ग़मगीन था
गम से मै वाकिफ हुआ औरों को रोता देखकर
.............................................................. अरुण
ठेस सी लगती है दिल में खुद को घटता देखकर
कायदा कायम हुआ तो कत्ल होने थम गए
तलवारे नफरत चल रही हर बार दुश्मन देखकर
प्यास को इज्जत मिली प्यासों से दुनिया भर गई
हो न हो जतला रहे सब प्यास पानी देखकर
'उनसे' पाकर इक इशारा चल पड़े मंजिल तरफ
कुछ तो उनके हो गए आशिक उन्हें ही देखकर
अपनी हालत पे बड़ा मै गमजदा ग़मगीन था
गम से मै वाकिफ हुआ औरों को रोता देखकर
.............................................................. अरुण
Comments
हो न हो जतला रहे सब प्यास पानी देखकर
बहुत खूब अरुण जी...उम्दा कलाम...
नीरज