एक रूमानी ख़याल
यूँ ही बाँहों में सम्हालो कि
सहर होने तक
धडकनें दिल की उलझ जाएँ
गुफ्तगुं कर लें
जुबां से कुछ न कहें
रूह भरी आँखों में
डूबकर वक्त को
खामोश बेअसर कर लें
जुनूने इश्क में बेहोश
और गरम सांसे
फजा की छाँव में
अपनी जवां महक भर लें
बेखुदी रात की
तनहाइयों से यूं लिपटे
बेखतर दिल हो,
सुबह हो तो बेखबर कर लें
..................................... अरुण
सहर होने तक
धडकनें दिल की उलझ जाएँ
गुफ्तगुं कर लें
जुबां से कुछ न कहें
रूह भरी आँखों में
डूबकर वक्त को
खामोश बेअसर कर लें
जुनूने इश्क में बेहोश
और गरम सांसे
फजा की छाँव में
अपनी जवां महक भर लें
बेखुदी रात की
तनहाइयों से यूं लिपटे
बेखतर दिल हो,
सुबह हो तो बेखबर कर लें
..................................... अरुण
Comments
गुफ्तगुं कर लें
वाकई रूमानी खयाल है और बहुत खूबसूरत भी