मन की तरंग
अन्दर की आँखें
बाहरी आँखें खुलते ही देखती हैं
यहाँ से वहाँ
मुझसे तुझ को
इधर से उधर
नीचे से ऊपर
अन्दर की आँखें देख लेती हैं अचानक
सबकुछ एक ही दृष्टि में एक ही पल में
....................................................... अरुण
बाहरी आँखें खुलते ही देखती हैं
यहाँ से वहाँ
मुझसे तुझ को
इधर से उधर
नीचे से ऊपर
अन्दर की आँखें देख लेती हैं अचानक
सबकुछ एक ही दृष्टि में एक ही पल में
....................................................... अरुण
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http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
अन्दर की आँखें
बाहरी आँखें खुलते ही देखती हैं
यहाँ से वहाँ
मुझसे तुझ को
इधर से उधर
नीचे से ऊपर
अन्दर की आँखें देख लेती हैं अचानक
सबकुछ एक ही दृष्टि में एक ही पल में
bahut khub
shkhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
यानि अंतर्मन
सब देख लेता है
बिना आँखे खोले भी ...!!