अस्तित्व अखंडित, खंड काल्पनिक

कल्प-भ्रम-माया ही खंड का स्रोत है । सकल जागा चित्त ही है अखंडित, योगमय, भक्तिपूर्ण अस्मृत ज्ञान।

- अरुण

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