एक शेर
आज का शेर
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नहीं आँखों ने सुना और दिखा कानों से
दिल से छूना हो जिसे धरना नहीं हाथों से
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अंतस्थ को अंतःकरण से ही जाना जा सकता है मन से नहीं देखा जा सकता. ठीक उसी तरह जैसे आँखों से सुना नहीं जा सकता एवं कानो से देखा नहीं जाता. जिसे अंतःकरण ही देख सकता है उसे मन से पकड़ने का प्रयास व्यर्थ है
- अरुण
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नहीं आँखों ने सुना और दिखा कानों से
दिल से छूना हो जिसे धरना नहीं हाथों से
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अंतस्थ को अंतःकरण से ही जाना जा सकता है मन से नहीं देखा जा सकता. ठीक उसी तरह जैसे आँखों से सुना नहीं जा सकता एवं कानो से देखा नहीं जाता. जिसे अंतःकरण ही देख सकता है उसे मन से पकड़ने का प्रयास व्यर्थ है
- अरुण
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