स्वभाव (Nature) और संस्कार (Nurture)
हम स्वभाव (Nature) और संस्कारों (Nurture)
के मिलेजुले रूप है ।
ध्यान.... दोनों को अलग अलग कर देख पाता है ।
मन..चूँकि संस्कारों के प्रभाव में होता है,
स्वभाव को देख पाने में असमर्थ है ।
ध्यान... चूँकि स्वभाव में स्थिर है,
उसके द्वारा संस्कारों को स्पष्टतः देखे जाते ही,
संस्कारों का प्रभाव या बंधन क्षीण हो जाता है ।
आसमां को मुठ्ठी पकड़ नही पाती, वैसेही,
स्वभाव.. पकड के बाहर है । संस्कार तो,
पकड़ का ही दूसरा नाम है ।
-अरुण
के मिलेजुले रूप है ।
ध्यान.... दोनों को अलग अलग कर देख पाता है ।
मन..चूँकि संस्कारों के प्रभाव में होता है,
स्वभाव को देख पाने में असमर्थ है ।
ध्यान... चूँकि स्वभाव में स्थिर है,
उसके द्वारा संस्कारों को स्पष्टतः देखे जाते ही,
संस्कारों का प्रभाव या बंधन क्षीण हो जाता है ।
आसमां को मुठ्ठी पकड़ नही पाती, वैसेही,
स्वभाव.. पकड के बाहर है । संस्कार तो,
पकड़ का ही दूसरा नाम है ।
-अरुण
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