छेद -वास्तविक, पर सच नही
कागज के पन्ने के बीच
एक छेद हो जाए तो वहाँ से
कागज के पीछे की
जमीन देखी जा सकती है
छेद एक वास्तविकता तो है
पर छेद का अपना कोई अस्तित्व नही
मन भी एक गहरी वास्तविकता है
पर उसका अपना कोई अस्तित्व नही
मन की वास्तविकता पर मनोविज्ञान खड़ा है
पर भौतिकशास्त्र को मन
दिखाई ही नही देता
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Comments
की वो मरता क्यों है,
जवाब नहीं मिलता ,
और वो सोच सोच के मर जाता है,
शायद सोच को,
ऐसी ही मौत पसंद है