प्रखर सूर्य-प्रकाश में बैठकर.....

धर्म के सम्बन्ध में

मनुष्य का आचरण

अटपटा सा है

ऐसा लगता है मानो-

एक खुले मैदान में

प्रखर सूर्य- प्रकाश में बैठकर

कोई सूर्य का मंदिर बना रहा हो

दीपक की पूजा कर रहा हो

...................................... अरुण


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और फिर मंदिर बनाने के बाद,
धरम सीमित रह जाता है,
बस मंदिर तक ..

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