शब्द और आशय एक दूजे से मुक्त ..

जब विचार कर्ता की भूमिका निभाते हैं

सांसारिकता में घुले रहतें हैं

जब वे कर्म के रूप में विचरते हैं

सांसारिकता से मुक्त रहते हैं

सांसारिकता से मुक्त मन ही

समाधी अवस्था का परिचायक है

सांसारिकता क्या है?

अस्तित्व को दिए गये अर्थ या आशाय्ररूपी

संकेत आपस में संवाद करते हुए हमारी

सांसारिकता को (हमारी consciousness को)

सजीव बनाते हैं

शब्द या आशय का एक दूसरे से मुक्त होना ही समाधी है

................................................................ अरुण

Comments

Dr.J.P.Tiwari said…
दार्शनिक सोच से भरपूर आपकी सोचने की कला हमें भी इन बिन्दुओं पर सोचने की प्रेरणा दे रही है. इस उन्मुख करने और मौलिक प्रस्तुति के लिए खूब ढेर सारीबधाइयाँ...

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