The Joy of Living Together - अध्याय १ (भाग ४)
क्रमशः ..... स्व-ज्ञान (Self Knowledge)
गरीबी मिटाने के प्रयासों से जुड़े लोगों को ख्याल रहे कि यद्यपि उनका काम सराहनीय है पर उनके प्रयासों से गरीब खुश होगा, इसकी कोई निश्चिती नही। जो व्यक्ति अपने स्व को या अपने होने को पूरी तरह से जान रहा हो, वह अपनी गरीबी की अवस्था में भी खुश है। साधनों से सुविधा मिलती है पर सुख दुःख का स्रोत केवल साधन नही होते, यह बात अब दुनिया ने अनुभव से जान ली है। जीसस क्राइस्ट और महात्मा गाँधी के जीवन से हम यह सीखते हैं कि स्व-ज्ञान केवल कष्ट-वेदना का निवारक ही नही, जीवन में सुख, शांति, मुक्ति. सम-भाव, करुणा, सहिष्णुता तथा क्षमा-भाव भरता है। स्व को जानने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है हमारे में संचार करती ‘कुछ बनने या पाने या कुछ हासिल करने’ की आकांक्षा। एक तरफ आदमी अंतःकरण को किसी भी पूर्व संस्कार के मुक्त रखने की आवश्यकता महसूस करता है तो दूसरी तरफ, वह पाने, संग्रहित करने, या हासिल करने की ललक से बेचैन है, अपनी स्व-केंद्रित क्रियाकलापों में व्यग्र है। जब तक प्रज्ञा पूरी तरह नही जागती, यह अंतर-संघर्ष बना ही रहेगा। ऐसी प्रज्ञा के अभाव को जीसस ने मंद-बुद्धि तो गौतम बुद्ध ने अशुद्ध-मन की संज्ञा दी है।............क्रमशः आगे अध्याय १ (भाग ५)
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