The Joy of Living Together - अध्याय १ (भाग ७)
क्रमशः………ईश्वर (God)
वैज्ञानिकों द्वारा जिस अंतिम-यथार्थ की बात की जाती है, क्या ईश्वर वैसा ही है ? मानव वंशवादियों ने उसे मनुष्य के रूप में देखा और उसे संप्रदाय और जाती वाचक संबोधनो से नवाजा और इसीलिए प्रायः बुद्ध और जे कृष्णमूर्ति ने उसे मनुष्य के रूप में देखने की कल्पना को टालना चाहा। जीसस क्राइस्ट ने ईश्वर को एक रूह कहकर उसे अंतिम-यथार्थ के रूप में देखने की बात अपने सन्देश में सुझाई है। जीसस को स्व-ज्ञान होते ही उन्होंने अपने को मानव-पुत्र से आगे बढ़कर ईश्वर-पुत्र के रूप में देखना चाहा और इसी कारण उन्होंने कहा की रूहमग्न हो जाना ही ईश्वरीय रूह की सच्ची आराधना है।
.......क्रमशः आगे अध्याय १ (भाग ८)
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