The Joy of Living Together - अध्याय १ (भाग ५)
क्रमशः ..... मंद-बुद्धि या अशुद्ध-मन (Dull or impure Mind)
चित्त जब उपस्थित समय या वर्तमान में न रहकर बीते या गत काल में विचरता रहता है, मन की ऐसी ही स्थिति को मंद-बुद्धि या अशुद्ध-मन कहते हैं। वर्तमान ही जीवन की रूह या spirit है, न की गतकाल या बीता समय। वर्तमान समय में अगर बीते कल का कुछ भी अंश या दाग है तो वह वर्तमान है ही नही। जब हमारा पूरा ध्यान वर्तमान में जीवंत रहने पर होता है तभी सही अर्थ में प्रज्ञा (Intelligence) जागती है। परन्तु मानवता के प्रारंभ से ही, मनुष्य ने गत-काल में जीना जाना या सीखा है और यही कारण है कि वह परम-बुद्धिमत्ता को उपलब्ध नही हो पाया। .......क्रमशः आगे अध्याय १ (भाग ६ )
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